शनिवार, 18 अप्रैल 2020

प्रेम बनाता है शक्तिशाली


प्रेम बनाता है शक्तिशाली
निर्भीक और संवेदनशील
प्रेम ले जाता है
निष्ठा और पवित्रता की ओर
यदि ऐसा नहीं है तो
आप को प्रेम नहीं
देह की है आसक्ति
प्रेम में देह स्वतः
हो जाती है समर्पित
हाँ देह की आसक्ति में
प्रेम नहीं होता शामिल
यदि प्रेम आप को
बनाता है कमजोर
करता है भ्रमित
बनाता है दुखी याचक
तो उसे पहचानों
वह प्रेम नहीं मरीचिका है
कर्म पर करो स्व को केन्द्रित
प्रेम से भी श्रेष्ठ है कर्म
वही बनाएगा तुम्हें महान
ले जाएगा
उदात्त मनुष्यता की ओर
यदि तुम इसे समझ सको तो
बन सकते हो मात्र अपने कर्म से
मनुष्यता के शिखर और
अखंड ज्योंति की बाती



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणुडाक - poetpawan50@gmail.com

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