गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

तुम मेरे प्रेम की प्रथम भूमिका


तुम मेरे प्रेम की प्रथम  भूमिका
नैन  कहें   तू   मेरी  सारिका
मिली तो  पूरी  पुस्तक  लेकर
लगा  तुम  ही  मेरी  नायिका

सोचा कथ्य तो  बिखर गया है
शिल्प मिला तो निखर गया है
ऐसे  में  फिर  प्रेम  हँसा तो
कितनों को  ही आखर गया है

प्रेम मिला तो तन मन खिल गया
चाह से भी उत्तम  वर मिल गया
ऐसे  में  कुछ   अपने  जले  यूँ
जैसे  उनके गाल से  तिल  गया

सारे दुखों का  जैसे  हल  मिला
चाहत वाला आज ही  कल मिला
पुण्य के  भाव  जगे   हैं हिय में
जैसे  पावन   गंगा  जल  मिला

प्रेम  मिले  सो  हैं   बड़भागी
अमर हुए हैं  प्रेम  के   बागी
जिसको प्रेम मिला  जीवन  में
उसकी   सोयी  किस्मत  जागी


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें