रविवार, 1 मार्च 2020

आलोचना


आज एक तरफ निंदा है.
एक  तरफ  प्रशंसा  है.
और कोने में पड़ी चुप्पी है.
सत्य को बोल तो दुर्लभ हैं !
हाँ, आलोचना को खोज रहा हूँ.
साहित्य और जीवन में,
दोनों जगह !
अरे हाँ, किसी को मिले
तो बताना जरुर !


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

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