गुरुवार, 5 मार्च 2020

तुम्हारे बारे में ....




मैं तुम्हारे बारे में, अपने भाव  
दुनिया को बताना चाहता हूँ.
कई दिन, शायद सप्ताह
नहीं, महीनों हो गये.
पर समझ नहीं पा रहा था,
तुम्हारे बारे में क्या लिखूँ /
लिखूँ तो शायद,
पुस्तकों की एक नयी दुनिया बन जाये.
और मैं लिखते–लिखते बूढ़ा हो जाऊं.
बहुत दिनों से सोचते-सोचते,
आज शायद समझ में आ गया है.
कि बहुत कुछ कहना हो तो कम बोलो ;
या एकाध शब्द ही लिखो. क्योंकि
उसके आगे पीछे का मौन बहुत बोलता है.
इससे पहले कि सोच-सोच कर पागल हो जाऊं
एक शब्द पकड़ में आया है, खोजते-खोजते.
जो शायद वो सब कह जाये, तुम्हारे बारे में !
जो मैं कहना चाहता हूँ.
मेरे जीवन में तुम्हारा होना,
मेरे जीवन को
‘सार्थक’ कर गया है.


पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८


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