शुक्रवार, 5 जुलाई 2019

मैं रेत तू नदी है


मैं    रेत    तू    नदी     है
मैं   लम्हा   तू   सदी   है
तुझे खुद से ज्यादा चाहूँ
नेकी   है    या    बदी   है

मैं    तार     तू   सितार
नाचीज़   मैं  तू    प्यार
तुझे  नाम   दूँ मैं क्या
तुझे इश्क कहूँ या यार

मैं   काँटा    तू    गुलाब
तू  सबके लिए   शबाब
तुझमें है जिन्दगी मेरी
मैं  कीच    तू है  आब

मैं  छत  हूँ   तू   दीवार
मैं    बेचैनी    तू  क़रार
मेरी  हस्ती  भी  बने 
जो कर  ले  अंगीकार 

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें