मंगलवार, 29 जनवरी 2019

दुश्मनी की जो लगी आग


दुश्मनी  की जो लगी आग  बुझायी जाए
प्यार की आग चलो दिल में  जलाई जाए

यूँ तो  लाखों हैं  आपस  में  लड़ाने वाले
मित्र हैं तो सुलह  की  बात  सुझायी जाए

बहुत  रुठा  है  उसे  शब्द  से बहलाएंगे
प्यार की उसको ग़ज़ल आज सुनायी जाए

हवा में आज-कल नफरत की गंध तैर रही
फिज़ा  में आज  चलो खुशबू फैलायी जाए

बातों - बातों में  हर बात  सुलझ जाती है
होठों  पर प्रेम  की कुछ बूँद सजायी जाए

हवा भी चुप गीत भी चुप सभी गमगीन हुए
ऐसे  में  “पवन”  को  आवाज लगायी जाए


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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