गुरुवार, 13 सितंबर 2018

पतझड़ जीवन में तुम आयी






पतझड़ जीवन में तुम आयी
साथ बसंत बहार  भी लायी
जीवन खिल के पुष्प हो गया
हर्ष वाटिका भी चलि आयी

राग अगाध, अबाध मिले मुझे
निश्छल दो-दो हाथ मिले मुझे
हूँ, कृतज्ञ और सदा रहूँगा
हर क्षण तुम्हरे साथ मिले मुझे

तुम हो  मेरा प्रेम  चिरन्तन
विचरण  करती हो  अंतर्मन
तुमसे ही ये हृदय खिला है
मेरे नेह की, तुम हो मधुवन

प्रेम अकथ, तुम भी अकथ्य हो
जीवन की तुम्हीं सत्य तथ्य हो
तुम प्रदीप इस उर अंतर की
एक मात्र तुम, उर की सत्य हो


पवन तिवारी
संवाद- ७७१८०८०९७८
अणुडाक – poetpawan50@gmail.com

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