मंगलवार, 3 जुलाई 2018

बदला मिज़ाजे वक़्त हम क्या से क्या हुए


बदला मिज़ाजे वक़्त हम क्या से क्या हुए
जो सर झुकाते थे वो अब आखें दिखाते हैं

जिनको सिखायी हमने उजालों की बंदगी
वे हमको ही काली-काली  रातें दिखाते हैं

वर्षों पकड़ कर उंगलियाँ जो साथ चले थे
वो हमको  ही आके गलत राहें दिखाते है

जिनको सिखाये दाँव पेंच जिन्दगी के हम
वो  मोड़  कर  बाज़ू  हमें बाहें दिखाते हैं

जब से अकेला वक़्त हमें छोड़ गया है
सब लोग अक्ल वाली किताबें दिखाते हैं


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें