जिन्दगी ने जिन्दगी
से छल किया
जिन्दगी को जीने का
तब बल मिला 
जितना भौतिक कष्ट
झेला जिन्दगी ने 
उतना ही आगे उसे फिर
हल मिला 
धर्म को धारण किया
जिसने जथा
कष्ट में वो  धैर्य उतना धर सका 
जिसने प्रत्युत्तर
दिया बस मौन से 
वो ही जीवन में
विजेता बन सका 
अनुकूल  में प्रतिकूल में जो सम रहा 
उसको ही जीवन में
सच्चा हल मिला 
जिनको  है  विश्वास  पूरा  कर्म  में 
उनको तो बिन मांगे
उत्तम फल मिला  
जो परे,  अपने   पराये  से  रहा 
खुद के जो विश्वास
पर स्थिर सदा
ऐसों पर आये जो
विपदा कैसी भी 
ऐसों  ने  हँसकर
 उसे जीता सदा  
पवन तिवारी 
संवाद – ७७१८०८०९७८ 
poetpawan50@gmail.com
 

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें