गुरुवार, 7 दिसंबर 2017

प्रेम अपना हिमालय सा उद्दात है



















चाहूँ मैं और कुछ भी इरादा नहीं
संग तूँ बस रहे इससे ज्यादा नहीं

मुझपे विश्वास हो इससे ज्यादा नहीं
चाहूँ  तुझसे मैं कोई भी वादा  नहीं  

जैसा भी है मेरा तूँ मुझे प्यारा है
ओढ़ना तूँ कोई  भी लबादा  नहीं  

प्यार तो है इबादत फिर हो झोपड़ी
यूँ जरूरी  महल सा  कुशादा  नहीं

दो अधूरे मिले फिर कहाँ गम रहा
प्यार  पूरा हमारा  है आधा  नहीं

कोई  हमको बिछोड़े  दफन कर दे यूँ
प्यार अपना भी यूँ सीदा - सादा नहीं

प्रेम अपना हिमालय सा उद्दात है
फूंक दे कोई  हमको  बुरादा नहीं


पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com

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