सोमवार, 4 दिसंबर 2017

ये जो सर्दी आई है ढेर सारा प्यार लेकर









ये जो सर्दी आई है ढेर सारा प्यार लेकर
मेरी होठों की दुश्मन ढेर सारा बाज़ार लेकर
यही तो लाती है रजाई में सोने का मजा लेकर
आती है ढेर सारा बहुत कुछ और भी लेकर
स्वेटर,टोपी,साल मोफलर,फटी एड़ियाँ,कांपते होठ
और जाड़े वाली क्रीम के मुलायम खर्चे लेकर  

दिन भर सुलगती अंगीठियाँ,ठरते पाँव
घासों और फूलों पर सँवरती ओस की बूँदे,
खेतों से गुजरने पर शरमा के प्यार से
लिपट जाती हैं बदन से पीली सरसों की पंखुड़ियाँ
और किसान गुनगुनाता है फसलों की रंग-बिरंगी बहार लेकर
और कभी इसकी मार से बेहाल दम तोड़ती फसलों की आह लेकर

जिस धूप से जल जाते थे जेठ में बेवक्त अक्सर
अब उसी धूप पर बिछ जाते हैं धूप बरसे प्यार लेकर
जो नहीं पीते थे सिगरेट या बीड़ी उनके मुँह से भी
निकलता है धुँआ इन नया अंदाज लेकर
सर्दियाँ ही ले आती हैं 
अच्छा वाला गले मिलने का मौसम

दिल कहता है बेसाख्ता समा जाएँ
एक दूसरे में गर्माहट वाला प्यार लेकर
इस गर्माहट वाले प्यार से भी बहुत कुछ जुदा 
ये सर्दियां और भी बहुत कुछ लाती हैं ले जाती हैं
अमीरों के लिये प्यार का गुनगुना मौसम
और अक्सर गरीबों के लिए बेशरम मौत लेकर  

पवन तिवारी
सम्पर्क - 7718080978
poetpawan50@gmail.com



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