मंगलवार, 26 दिसंबर 2017

माना कि ख़तरा यहीं है













माना कि ख़तरा यहीं है
मगर ख़ुदा भी तो यहीं है

माना कि झूठ बहुत है यहाँ
मगर सच भी तो यहीं है

नफरत की ही चर्चा क्यों
मोहब्बत भी तो यहीं हैं

जहाँ में गद्दारी पर बातें बहुत
थोड़ी सही वफादारी भी तो यहीं हैं

जिनके करम उजाले से अच्छे हैं
उनके लिए खुदाई भी तो यहीं है

क्यों परेशा हो परायों के जिक्र से
करो दिल्लगी अपने भी तो यहीं हैं

पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com

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