सोमवार, 25 सितंबर 2017

होत भिनसहरा -अवधी गीत


























होत भिनसहरा बटोरैल्या दुआर तूँ
गोबर उठाई के फिर करैल्या सिंगार तूँ 
फिरू जाल्या फरूहा लईके आरि छाटै खेते तूँ
लउटि के जौ आवैल्या त दतुइन करैल्या तूँ

एक्को मिनट कै तूंहै फुरसत न हउवै
हमरो उमिरिया सइयाँ घिसत जाति हउवै
हमरो से मिलि के सइयाँ दुई गाल बाति करा
हई मेहरारू तोहार यहू कै खयाल करा

जेतना पसीना सइयाँ खेते में बहावैल्या
ओकर न आधों प्यार हमसे जतावैल्या
हमरो उमिरिया कै माँगि हउवै सइयाँ
अइसे बिलगा जिन पकड़ा जोर से ई बइयाँ

अकेले घरा में सइयाँ जाली उबियाई
तोहरे बिना ना सइयाँ अकेले सुहाई
कहता त साथ चलित खेतवा में हमहूँ
हाथ बंटायित सइयां,बाति करित हमहूँ

संग-संग काम होई,बढ़ी भी सनेहिया
सीखब खेती-बारी संग रहबा जौ पिया
और कौनो ललसा नाहीं काटी देब उमिरिया
बनल रहै आपस में ई नेहिया कै डोरिया


पवन तिवारी
सम्पर्क – ७७१८०८०९७८

poetpawan50@gmail.com

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