सोमवार, 10 जुलाई 2017

अन्दर बारिश ,बाहर बारिश

















अन्दर बारिश ,बाहर बारिश
मन में भी बारिश ही बारिश 
ऐसे में फिर पहली बारिश
तन भी हो गया बारिश - बारिश 

धरती ही कुछ प्यास बुझी है 
महक उठी है पाकर बारिश 
पवन का बदला है मिजाज़ कुछ 
शीतल हो गये पाकर बारिश 

निर्मल शीतल दृश्य मनोहर 
बारिश ने की ऐसी बारिश 
सारे दुःख को बहा ले गयी 
आयी जो ये पहली बारिश 


पवन तिवारी 
सम्पर्क -7718080978
poetpawan50@gmail.com

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