रविवार, 2 अप्रैल 2017

और लबों पर रंग दे बसन्ती गाने थे













आज ही नहीं दीवाने हैं
तब भी तो दीवाने थे
आज तो जो हैं
लड़की के दीवाने हैं  
चाल देखकर भ्रम होता है
मर्द या जनाने हैं
इनके लबों पर ईलू वाले गाने हैं
वो तो भारत माता के दीवाने थे
और लबों पर रंग दे बसन्ती गाने थे
बिस्मिल और आज़ाद भगत सिंह
क्रांतिकारी दीवाने थे
आजादी मिलने के कारण
उनके कारनामें थे 

poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क- 7718080978

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें