बुधवार, 15 मार्च 2017

बस उसे गद्दार कह देते तो मर गया होता

अपनी निगाहों में गिर गया होता
जाने वो कब का मर गया होता

उसकी आँखों में वफादारी का नूर देखा तुमने
बस उसे गद्दार कह देते तो मर गया होता

तुमने छेड़ा तो अब अंजाम भी भुगतो वरना
छेड़ते न तो चुपचाप चला गया होता

शुक्र है तुम्हारी गलतियों का पिटारा खुला नहीं अब तक वरना
तुम्हारा हाल ना जाने क्या से क्या हो गया होता

तुम्हारा भी सितारा बुलंदी पर होता
तुम्हारे साथ कुछ दिन और रह गया होता 

पवन तिवारी

poetpawan50@gmail.com


सम्पर्क-7718080978

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