गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

बाल कविता.....बरखा बादल

 बाल कविता .....

       ‘बरखा बादल’

















काले बादल, नीले बादल,उड़ते रहते हैं ये बादल.
न्यारे बादल,प्यारे बादल, पानी भर-भर लाते बादल.

मेघा आते,बरखा लाते, तपती अवनि शीतल कर जाते.
नाले,तड़ाग सब भर जाते,दादुर मीठे स्वर में गाते .

मोर नाचते मस्त हो बन में,कृषक चलाते हल खेत में.
चारो तरफ हरियाली छाई,बरखा आई-बरखा आई.

रिमझिम–रिमझिम बरखा आती,तन-मन को गीला कर जाती.
समय-समय पर आते बादल,बरखा कर चले जाते बादल.

कभी-कभी तपती धूप में,सूरज को ढक जाते बादल.
अल्प समय के लिए भले पर,छाँव हमें दे जाते बादल.

मस्त पवन के साथ ए उड़ते,सदा नील अम्बर में रहते.
काले-बादल-नीले बादल, गरजने–बरसने वाले बादल. 


 








पवन तिवारी
सम्पर्क -7718080978/9920758836

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