शनिवार, 1 अक्टूबर 2016

लोग कहते हैं कि मैं छोटा हूँ.





लोग कहते हैं कि मैं छोटा हूँ.
सफ़र लम्बा मैं कर नहीं सकता.
पर ‘मैं साहस हूँ’ मंजिल से पहले.
कदम मेरा भी रूक नहीं सकता .

दोस्ती का इनाम लाया हूँ.
हर फ़िगार का हल मैं लाया हूँ.
तेरी मुश्किल का हल तुझी में है.
एक दर्पण मैं साथ लाया हूँ.

दोस्त हूँ चुप भी रह नहीं सकता.
सच कहे बिन भी रह नहीं सकता.
तू रूठ जाए, दुश्मन हो जाए.
तुझको बर्बाद कर नहीं सकता. 
poetpawan50@gmail.com

सम्पर्क - 7718080978

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