शनिवार, 22 जून 2024

लोग कहते हैं -


 

लोग कहते हैं-

प्रदूषण बढ़ गया है.

लोग कहते हैं-

गर्मी बहुत बढ़ गयी है.

लोग कहते है-

अकाल पड़ गया है.

लोग कहते हैं-

पानी का जलस्तर

नीचे चला गया है.

 

लोग कितने

अनजान बनाते हैं.

लोग आन्दोलन करते हैं.

मार्च निकलते हैं.

ये वही लोग करते हैं,

जो सबसे अधिक

प्रकृति को क्षतिग्रस्त

करते हैं.


यही हैं,जिन्होंने

अपने घरों में

सबसे बड़े प्रदूषण

लगाए बीते हैं.

यही मोटरकार वाले,

यही शीतयंत्र और

वातानुकूलन वाले !


इन्होंने ने ही

पेड़ काटे, बाग़ उजाड़े !

खाड़ी और तालाब पाटे !

मिटटी पर कंक्रीट किये,

बोर से जल का शोषण!


और फिर

भरमाने के लिए

नैतिक होने का

स्वांग रचते हुए

ये मार्च और आन्दोलन !

क्या कहें-

बेचारे मूर्ख या धूर्त !

 

पवन तिवारी

१९ /०६/ २०२४

 

 

   

 

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