सोमवार, 12 फ़रवरी 2024

प्रेम में जिन्हें छल मिले हैं



प्रेम में जिन्हें छल मिले हैं

आज  वाले  कल  मिले हैं

बासी  रोटी  भूख  में  

जूठे जिनको  जल मिले हैं

ऐसों  को  मत  त्रास देना

प्रश्न    भी     करना   नहीं

 

विरह   में  जो  रो  रहे  हों

अपनापन  जो खो रहे हों

विवश  होकर  ज़िंदगी से

आधा   जिंदा  जो  रहे हों

ऐसों  को मत  त्रास  देना

प्रश्न   भी     करना   नहीं

 

अपनों  के  मारे  हुए जो

अपनों  के  चारे  हुए जो

है परिस्थिति मृत्यु की पर

साँस  को  धारे  हुए  जो

ऐसों को मत  त्रास  देना

प्रश्न    भी    करना  नहीं

 

रात  जो  बे-घर  हुए  हैं

बारिशों  में  तर  हुए  हैं

जो अभी अपमान सहकर

नैन  से   निर्झर  हुए  हैं

ऐसों  को  मत त्रास देना

प्रश्न   भी   करना   नहीं

 

पवन तिवारी

१२/०२/२०२४  

 

 

 

8 टिप्‍पणियां:

  1. प्रश्न भी करना नहीं...
    अति अर्थ पू्र्ण सृजन सर।
    सादर।
    -------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १३ फरवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. रात जो बे-घर हुए हैं
    बारिशों में तर हुए हैं
    बेहतरीन
    सादर

    जवाब देंहटाएं