शुक्रवार, 27 जनवरी 2023

बाबू जी मजबूर गाँव में



बाबू जी मजबूर गाँव में

मुंबई में मजदूर है बेटा

अम्मा है बीमार गाँव में

रात में  लेटे  सोचे बेटा

 

बेटा पास नहीं बाबू के

दोनों  की  मजबूरी है

गाँव में रहके क्या कर लेगा

पइसा बहुत जरुरी है

 

बाबू अम्मा पड़े खाट पर

कोई  नहीं  पुछंतर  है

बेटा है पर पास नहीं है

सुख से दुःख का अंतर है

 

रिश्ते को पैसा खा जाता

बिन  पैसे   रिश्ता  टूटे

सभी इसी उलझन में सोचे

सोच  में  ही  रिश्ते  रूठे

 

काश कभी  हो जाता ऐसा

रोजगार  गाँवों  में  आता

माँ बाबू के  साथ में रहते

माँ बाबू का प्यार भी पाता

 

थामें रहते सुख दुःख में कर

रिश्तों  में  गर्माहट रहती

थोड़े में भी  खुश रह लेते

सदा प्रेम  की आहट रहती

 

पवन तिवारी

२७/०१/२०२३   

 

       

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