रविवार, 24 जुलाई 2022

पीड़ाएं हैं हर्ष से ज्यादा

पीड़ाएं   हैं   हर्ष  से  ज्यादा

पग पग में है सच संग बाधा

अन्य से भय की बात नहीं है

अपने  ही  करते  बल  आधा

 

जो - जो  अपनों  पर वारे हैं

अपनों   के  कारण   हारे  हैं

अपनों को हम अधिक खटकते

और  नैन   के   सब  तारे  हैं

 

इसी  तरह  अनुराग  जला  है

रिक्त  जगह  पर  द्वेष पला  है

बिखर  गए    संबंध  मधुरता

स्वारथ की यह कलुष कला है

 

मैं,  मेरा  का  शोर  मचा  हैं

केवल  एक  विकल्प  बचा है

निज पौरुष विवेक से निर्णय

किया,चला इतिहास रचा है

 

और  नहीं  मुझको  कहना  है

आगे  अब  तुमको   करना है

उपर्युक्त  पर  अमल   करोगे

या फिर अभी और सहना है

 

पवन तिवारी

१९/०४/२०२२

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