सोमवार, 4 जुलाई 2022

नाव अपने ही ढंग से

नाव अपने ही ढंग से खेना तुम

जिससे है प्यार ध्यान देना तुम

तुमसे ज्यादा नहीं अपेक्षा बस

फोन पर हाल  चाल लेना तुम

 

प्यार  थे   और  कल रहोगे तुम

मुझको बस मित्र ही कहोगे तुम

ये  भी  संबंध  कम  नहीं तुमसे

इतने  से  भी  बहुत सहोगे तुम

 

ख़्वाब  में  भी  कभी आना तुम

हाँ, मगर  दूर भी न जाना तुम

तुम मुझे जानते हो ये भी बहुत

है दुआ चाहो  जिसे पाना तुम

 

हो क्या मेरे  लिए  न जानो तुम

तुम मुझे मानो या ना मानो तुम

तुम अपने पथ पे हँस के बढ़ते रहो  

हो वो पूरा   कि जिसे ठानो तुम

 

पवन तिवारी

२३/१२/२०२१

 

 

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