शनिवार, 4 जून 2022

है जो शिद्दत तो

है जो शिद्दत तो उसको भी पा लीजिये

जिंदगी  के   लिए   भी   दुआ  कीजिये

 

हवस ऐसी भी ना  हो कि मर जाइये

थोड़ा दम लीजिये थोड़ा खा लीजिये

 

रोते रहते हैं अक्सर ये अवसर मिला

आज अपनों में थोड़ा सा गा लीजिये

 

आप अवरोधों पर ख़ूब अच्छा कहे

पाँव अब तो डगर से हटा लीजिये

 

आप  कहते   प्रशंसक   हजारों  में  हैं

आज महफ़िल है खाली बुला लीजिये

 

इतनी पीकर भी  हैं आप प्यासे पड़े

आख़िरी चाह  है  सो बुझा लीजिये

 

पवन तिवारी

२८/०७/२०२१

 

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