शुक्रवार, 13 मई 2022

कभी रिमझिम कभी टिपटिप

कभी रिमझिम कभी टिपटिप

कभी गाये झमाझम है

अजब दीवानी  है ये भी

न देखे दिन है कि तम है

 

कभी दौड़े कभी थम जाय

कभी झूम के आये

अगर मिल जाय पवन तो

कभी गंगा कभी की तरह धार बहाये

कभी देखूँ जो रूप लागे संसार का दम है

 

धरा मग्न होती

अधर देख के हरषे

कुछ हैं देख डरे डरे

नैन हैं बरसे

चलते कदम उसके कोई उजड़े या बसे

बरखा तो रानी है उसे नहीं गम

 

पवन तिवारी

१९/०५/२०२१

 

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