सोमवार, 23 मई 2022

खिड़की से पार

खिड़की से पार  देखने  का  ख़ूब शौक है

अपने ही घर के मामले  से  जाता दूर है

 

सब ही  ईमानदार  हैं सब  ही शरीफ़ हैं

मौके  तलक  की देर है फिर लूट  लूट है

 

काबिलियत तो ठीक है सीना भी ठोके है

पकड़े गये तो  कहते हैं छूटती सी चूक है

 

अपना  वतन  महान है और गर्व ख़ूब भी

राशन  के  कार्ड तक के लिए देता घूस है

 

वो मर्द  कहे  और  अदा है  कि इस क़दर

कहता है कैसे निकलूँ  मैं  बाहर में धूप है

 

पवन तिवारी

११/०६/२०२१

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