गुरुवार, 26 मई 2022

सोच कर प्यार हमने

सोच  कर  प्यार हमने  किया ही नहीं

प्यार के बदले कुछ  भी लिया ही नहीं

कोई  सौदा   नहीं   ये  तो  सम्बंध  है

दोनों  ने  पाया  है कुछ दिया ही नहीं

 

क्षमता से भी अधिक दुःख को ढो जाता है

जिसको होता है वो इसमें  खो  जाता है

है  गजब  ये  अपरिचित को अपना कहे

कोई  करता  नहीं  ये  तो  हो  जाता  है 

 

इसकी लत ऐसी है किसकी  सुनता नहीं

अपने  आगे  किसी  को  भी गुनता  नहीं

इसकी  गिनती  दीवानों   में  ऐसे  नहीं

प्यार  खुद  चुनता  है  कोई चुनता नहीं

 

बतकही  ये  नहीं  बात  अनुभव  की है

ये कहानी असम्भव  से  सम्भव  की  है

जो  भी  सब  कुछ  लुटाने को तैयार हो

प्रेम  की  डोली  ऐसे  ही  तद्भव  की है

 

पवन तिवारी

२७/०६/२०२१ 

 

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