सोमवार, 2 मई 2022

कुछ में सितारों की झलक

कुछ में सितारों  की झलक  थी  धूल हो गये

कुछ में झलक थी काँटों की वो फूल  हो गये

इसको समय या भाग्य मानें या कि कुछ कहें

जो  सबके  स्नेह  पात्र  थे  वे  शूल   हो गये

 

कितनी  भी  सफलता  मिले  उदारता रहे

खुद के ही साथ औरों  को  भी  तारता रहे

जीते हुओं के  साथ  तो  रहती ही भीड़ है

तुम सच के  साथ  रहना भले हारता रहे

 

फिर कभी ख़िलाफ़ समय तो भी गम नहीं

मित्र इतने  होंगे  होके  कम भी कम नहीं

कितना हो संघर्ष कितना दुःख भले आयें

किन्तु  दृग  तुम्हारे  कभी  होंगे नम नहीं

 

पवन तिवारी

२१/०४/२०२१

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