गाता
हुआ  मस्ती  में  एक
राहगीर है
ज़रा
ध्यान से देखो वो देसी फकीर है 
जो
माँ-बहन का सामने सहता रहा अपमान 
कैसे
कहूँ कि उसका भी ज़िंदा ज़मीर है 
पैसे
के लिए कर लिया  सौदा  जमीर का 
और
आप कह रहे कि उसने मारा तीर है 
सब
कुछ तुम्हारे पास है पर खा नहीं सकते 
इससे
भी बढ़ कर ज़िन्दगी कोई पीर है 
माना
कि वो गरीब है धन के हिसाब से 
खुशियों
के मामले में वो बेहद अमीर है 
पवन
तिवारी 
०७/०१/२०२१
 
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें