रविवार, 13 फ़रवरी 2022

तो तुम कवि नहीं हो !


 तुम जो कवितायें लिखते हो

यदि उन कविताओं में तुम नहीं हो

तो, तुम कवि नहीं हो

जिन पीड़ाओं और सम्वेदनाओं को

कविता कह, शब्दों के पगहे में

बाँध रहे हो !

अगर वे तुम्हारी नहीं हुई हैं

तो, तुम कवि नहीं हो !

 जिस सौन्दर्य को तुम

शब्दों से बघार रहे हो

यदि तुमने उसके स्नेह को छुआ नहीं है

यदि तुमने उसे देखा नहीं है

मात्र कल्पना की है

तो, तुम कवि नहीं हो !

शब्दों और वाक्यों के मिलाप से

बने गुलदस्ते को यदि तुम

कविता समझते हो

तो, तुम कवि नहीं हो !

तुम मुझसे असहमत हो सकते हो

ख़ारिज कर सकते हो मेरे विचारों को

फिर भी मैं कहूँगा

तो तुम कवि नहीं हो !

 

पवन तिवारी

०९/०१/२०२१

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