रविवार, 24 अक्टूबर 2021

उसने ख़ुशबू कहा

उसने ख़ुशबू  कहा  चंदा कहा  गुलाब कहा

फिर भी मैं चुप रहा तो उसने लाजवाब कहा

 

मैं ज़रा ख़ुश हुआ तो प्यार का वरक बोला

उसने रोका मुझे और इश्क की क़िताब कहा

 

जब भी मिलता था कसीदे उसी के पढ़ता था

कल  वो  नाराज था बेसाख्ता  ख़राब  कहा

 

आज उसकी अदा ने बोल दिया वो भी मिली

मुझको  देखा  कि मुझे  देखते  ज़नाब कहा

 

ये बहुत खुश  था जिसे  रोज चाँद कहता था

आज  धीरे  से उसने  इसको  आफ़ताब कहा

 

पवन तिवारी

संवाद – ८/०४/२०२१  

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