शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

हवा ये जैसे झूम के आयी है

हवा ये जैसे झूम के आयी है

बरखा जैसी रिमझिम गायी है

कुछ ऐसे मन से आओ प्रीतम

मौसम ने भी आग लगायी है

 

पीपल पात सा डोल रहा ना ये मन

बस से बाहर जाने लगा ये तन

तुमको पाने की यूं प्यास जगी

सिया की खातिर भटके राम ज्यों वन

 

जब से जीवन में आये हो तुम

तुम बिन हो जता हूँ गुमसुम

आ जाते हो जब भी सामने तुम

हिय खिल जाता है जैसे प्रात कुसुम

 

हाथों में बस हाथ हमारा हो

जीवन का साथ हमारा हो

फिर सारे संघर्ष लगे प्यारे

प्रेम सकल ही नाथ हमारा हो

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

२१/०९/२०२०

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें