गुरुवार, 12 अगस्त 2021

कुछ अपने लिए जीते मरते

कुछ अपने लिए  जीते मरते

कुछ दूजों  के  लिये गाते हैं

कुछ सुख में  भी रोते  रहते

कुछ दुःख में  भी मुस्काते हैं

 

कुछ स्वारथ  देख  चले आते

कुछ  स्वार्थ  देख के जाते हैं

कुछ  भाग - भाग के हैं जाते

कुछ  बिन  मांगे  ही  पाते हैं

 

कुछ  दूजों  पर  जीते  खाते

कुछ ख़ुद ही कमा के खाते हैं

कुछ  जलते  हैं अपनों से ही

कुछ  गैरों  को  भी  भाते हैं

 

जन दुनिया में बहु  भांति रहे

जो   जैसे   वैसे    पाते  हैं

जिनको अधिंयारा प्रिय लगता

वे  रात  में  अक्सर  आते हैं

 

जिनको जीवन से प्रेम पवन

वे  जीवन को  पा  जाते है

जो सत्य के सहचर रहे सदा

प्रभु  उनको  गले  लगाते हैं

 

पवन तिवारी

सम्वाद – ७७१८०८०९७८  

   

 

  

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