सोमवार, 5 जुलाई 2021

आराध्या को याद करते हुए


आराध्या को याद करते हुए [मुझे कोरोना होने के बाद बिटिया पर लिखी गयी कविता] 

 

केवल तुम पांच वर्ष की थी,

थी समझ तुम्हारी पचपन की;

बीमार पिता का हाल-चाल

तुम सतत लिया कराती थी.

है याद आ रहा तुम कहती –

पापा आराम लग रहा है;

अब कैसा महसूस कर रहे ?

आवाज़ आप की क्यों धीमी है?

क्या अब भी बुखार लग रहा है?

अब थोड़ा अच्छा लग रहा है!

आप जोर से बोलोगे कब?

जब ठीक हो जाओगे तब!

मैं भगवान से कहूँगी –

आप को जल्दी ठीक कर दें,

अच्छा, अब आराम करो पापा!

मैं बाद में आऊँगी!

गरम पानी चाहिए;

बोलो पापा!

दवा खा लिए;

परिवार हमारा तब भी था;

केवल अवलम्ब आराध्या तुम थी,

ऐसी सम्वेदना अब तक

मैनें महसूस किया ही नहीं .

जब संत्रासों ने घेरा था,

केवल दुःख का डेरा था,

मेरा साहस, मेरा सम्बल

केवल बिटिया, केवल तुम थी!

कि अब जब थोड़ी दूर हो तुम

मैं पिता तुम्हें याद करता हूँ.

तुम जैसा ही नेह पुनः

मैं इत उत ढूंढा करता हूँ!

लिखने के लिए जग को त्यागा

तुम मेरी सबसे प्रिय कविता हो !

आराध्या तुम सचमुच सविता हो !

 

पवन तिवारी  

संवाद – ७७१८०८०९७८

०६/०८/२०२०

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