बुधवार, 16 जून 2021

तुम जो आओ बारिशों सा

तुम जो आओ बारिशों सा झम-झमा झम

और गाना पायलों सा छम – छमा - छम

प्रेम  का  आना  सदा ही  हर्ष  देता है

किन्तु थोड़ा रूठना भी डम - डमा – डम

 

फूल सरसो सा तुम्हारा मुस्कराना 

मटर के फूलों सा रंगी गीत गाना 

इन्द्रधनु जैसी विविधता सिर्फ़ तुममें 

और सरयू धार सी बहते ही जाना 

 

धान की बाली सी तुममें नम्रता है 

घृत कुमारी जैसी तुममें आर्द्रता है 

फूल गेंदा जैसी खुश रहती हो तुम

प्रेम की रति जैसी तुममें पात्रता है 

 

स्वाद जामुन सा जो इठलाती हो तुम

पात का हिलना जो बलखाती हो तुम

बोलती हो  झरते  जैसे  हरसिंगार

नयी-नयी दुल्हन सा शरमाती हो तुम

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

२९/०७/२०२०

 

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