रविवार, 13 जून 2021

अपनों के धोखों

अपनों के धोखों के दुःख से जीवन त्याग नहीं देते हैं.

योद्धा बिना युद्ध  के यूँ  ही  अपना भाग नहीं देते हैं.

कितने ही छल कपट त्रास को झेल के भी जीवन चलता है.

अपने प्रिय को अपने हाथों क्या हम आग नहीं देते हैं.

 

अपनों से ही दुःख मिलते हैं अपनों से ही सुख मिलते हैं

सबसे अधिक जगत में अपने सच है अपनों से जलाते हैं

सब कुछ जान समझ कर भी हम रिश्तों का दस्तूर निभाते

हाथ छुड़ाने वालों के भी हाथ पकड़ कर हम चलते हैं

 

जीवन में मिलते धोखे जो समझो तो वे एक गुरू हैं

अपनों से यदि मिले हैं धोखे तो समझो कि सही शुरू हैं

धोखे ही जीवन में सबसे मूल्यवान अनुभव देते हैं

धोखों से जिस-जिस ने सीखा हुए वे गुरुओं के भी गुरू हैं

 

बाधाओं से ही अपनी असली क्षमता का भान है होता

गिर-गिर कर  जो उठे बढे हैं उनका सच में मान है होता

छोटे - छोटे व्यवधानों से जो घबराकर रुक जाते हैं

उनका जीवन में अक्सर ही जहाँ-तहाँ अपमान है होता

 

पवन तिवारी

संवाद - ७७१८०८०९७८  

१७/०७/२०२०  

   

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