रविवार, 26 अप्रैल 2020

नभ मेरा है शिरोभूषण


नभ  मेरा है   शिरोभूषण
वर्षा  से   अनुबंध   मेरा
जिस हुताशन  से डरे जग
वो ही है  मणिबन्ध  मेरा

हिम हमारे पूज्य  का  गृह
शीत   से   संबंध   मेरा
राष्ट्र पर बलिदान सब कुछ
प्रेम    पर   तटबंध  मेरा

रवि तो घर  के  देवता हैं
क्या  करेगा  फिर अन्धेरा
जिस धरा के राम  प्रेरणा
वहाँ  होगा   धर्म  प्रेरणा

शारदा  के   पुत्र   हैं हम
वेद  की   रखते हैं  माला
काले – काले   अक्षरों  से
ज्ञान  का  फैला   उजाला

याद  है  ये  वो है भारत
शार्दुल  के  दांत  गिनता
सबसे पहले  द्वार जिसके
सविता का प्रकाश भिनता

संस्कृति    उदात्त  ऐसी
जग के सुख  की कामना
जगत है  परिवार  अपना
ऐसी   अपनी     भावना

तिस पे  भी   घमंड  वश
करे जो  कोई  प्रहार   है
ऐसे में ये  शिव का  देश
फिर    करे   संहार   है


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com     
  

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