शनिवार, 11 अप्रैल 2020

नाउम्मीदियों के बीच


नाउम्मीदियों के बीच ही उम्मीद छुपी है
हो कर  शांत  सोचना  तकदीर छुपी है

राह जो तू मुश्किलों से भरा समझता रहा
उस राह में ही  जीत की शमशीर छुपी है

उसकी हँसी उड़ाता जो  हर वक़्त हँसे है
उस हँसी के पीछे  ही इक  पीर छुपी है

ज्यादा बुरा  नहीं  लगा ये  हारना तेरा
इस हार में देखा  हूँ  तेरी जीत छुपी हैं

ये हूक ये हिचकी ये दरद जो भी हो रहा
उसके लिए इन सब में तेरी प्रीत छुपी है

उसने तुझे छोड़ा तो ना मायूस हो पवन
तेरे उरूज़  की  वहीं  तदबीर  छुपी  है



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८      

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