बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

सोचना !


सोचना !
सोचकर करते जाना,
या करते जाना विचारते हुए;
जीवन है.
मात्र विचारना या
मात्र करते जाना,
विचार के बिना,
हो सकता है घातक;
सम्पूर्णता में,
कोमल जीवन के लिए.

कर्ता,क्रिया,कर्म के
समन्वय से भी,
कई बार नहीं मिलती
जीवन को गति;
बिना ध्येय !

व्यस्त जीवन
बड़ा जीवन
हो सकता है छुद्र
सार्थक जीवन के सम्मुख


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८ 

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