शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

तू क्या सोचा घर जायेंगे


तू क्या  सोचा घर  जायेंगे
तुझसे बिछड़ के मर जायेंगे

बहुतों के जी  रूप  सुनहरे
अंदर देख  के डर  जायेंगे

सच में प्रेम हुआ जो उनको
हमको छोड़  किधर  जायेंगे

हम आवारा दूजे  किसिम के
हम किसी और नगर जायेंगे

सब  राही  हैं शेष  झूठ है
आगे  पीछ  गुजर  जायेंगे

प्रेमी  प्रेम   नगर  जायेंगे
कहेंगे  नहीं  मगर  जायेंगे



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८


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