गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

मुक्तक 20 दिसम्बर 2019 के दिन लिखा मुक्तक




बहुत  आसान  है  बातें  करना
किसी की खुशियों में रातें करना
मगर  इंसानियत  तो ये  कहती
जहाँ भर  के लिए इबादतें करना

जिन्दगी फ़क़त है मजहब नहीं
जिन्दगी फ़क़त है करतब नहीं
जिन्दगी प्यार है इंसानियत है
जिन्दगी फ़क़त है मतलब नहीं

जिन्दगी  में  जो  भाई  चारा हो
फिर तो हर रिश्ता ही प्यारा न्यारा हो
सदाचरण का पालन जो होने लगे
फिर तो सुखदायी संसार हमारा हो

क्रोध पराजित हो  जाएगा
सहनशील यदि हो जायेगा
यदि सबको सम्मान दिया तो
सहज ही पूजित हो जाएगा

अंदर बाहर स्वच्छ रहे तो
अपने कर्म में दक्ष रहे तो
जीवन कठिन सरल होगा फिर
सच्चाई  के  पक्ष  रहे तो

जो परहित की बात करोगे
प्रीती अधर पर साथ धरोगे
बिगड़े काम भी बन जायेंगे
सबके दिल पर राज करोगे

प्रकृति को अगर सताओगे
प्रदूषण  यदि   फैलाओगे
मुश्किल होगा जीवन फिर
जीते  जी   मर  जाओगे

सब मिलकर आवाज़ लगाओ
पेड़ लगाओ जल को बचाओ
इनके  होने  से  हम  होंगे
चलो न जन-जन को समझाओ

समरसता की बात चली है
वैसे तो ये  बात  भली है
फ़क़त बात की बात न पूछो
जाने कितने  बार छ्ली है

ये खुद  को  समझाना है
एक दिन सबको जाना है
फिर तेरा मेरा क्या करना
जन जन को बतलाना है

स्वास्थ्य  गया  तो आ जाएगा
धन भी  गया  तो आ जाएगा
एक चरित को जतन से रखना
यह  जो   गया  ना  आयेगा  

थोड़े में  खुश रहना सीखो
अपने ढंग से जीना  सीखो
नकल तुम्हें ही खा जायेगी
जो हो  जैसे दिखना सीखो

यौवन मिला तो भोगी होगा
मिर्च  खटाई  रोगी   होगा
सच से प्रेम किया हो जिसने
दुःख छल मिला तो योगी होगा


आडम्बर से भला न होगा
किसको इसने छला न होगा
दर्पण से गर सही रहे तुम
झूठ का जादू चला न होगा



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
   





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