रविवार, 24 नवंबर 2019

देखा सपन अनोखा है


देखा  सपन   अनोखा है
दाल  में  डूबा   चोखा है

कैसे - कैसे  ख़याल आये
दिल कहे प्रेम कि धोखा है

बाहर - बाहर लम्बी बातें
देखो  तो  दिल खोखा है

दुश्मन पे ही फ़िदा हुआ है
दिल उसका भी अनोखा है

पानी उसका क्या उतरा कि
सारा   पानी    सोखा  है



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत

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