यूं हुस्न का पीछा
जी क्या इकरार करोगे
कुछ  और  इरादा
 है  या  प्यार करोगे  
यूँ  वहशियाने ढंग से काबिज़ जो हुए हो 
तुम प्यार  नहीं लगता है कि मार करोगे 
ये  फूल, इत्र, सजावट, ये अदा, मुस्कान 
इसे  घर  ही  रखोगे  कि
 बहार करोगे  
घंटों  की  बातें
और तीन - चार कोफियाँ
यूँ  ही  काटोगे
 वक़्त कि इजहार करोगे
माना कि हो शायर मगर
कुछ यार करोगे
बातों  से कब  तलक पवन ख़ुमार करोगे 
पवन तिवारी 
संवाद – ७७१८०८०९७८ 
अणु डाक - poetpawan50@gmail.com
 

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