मंगलवार, 6 नवंबर 2018

सत्य से भागे हुए लोग


सत्य से भागे हुए लोग अक्सर
नैतिकता के कम्बल ओढ़े हुए
अंदर से डरे हुए
बात - बात पर
औपचारिकता निभाते लोग
बहुत ही झूठे और टूटे होते हैं

कुशलक्षेम पूछने पर हर बार
अच्छा है, बढ़िया है, बहुत बढ़िया
सब मंगल है, सब कुशल है, अपना कहें
ये रटे हुए वाक्य दुहराने वाले
सबसे लुटे – पिटे, समय के पुश्तैनी दुश्मन
और रगड़े हुए होते हैं

बिना कारण के बात - बात पर
हँस देने वाले लोग
बिना कारण के बार – बार
प्रशंसा करने वाले लोग और हर बात पर
हाँ जी, हाँ जी, करने वाले
किसी के मित्र नहीं हो सकते

और हाँ एक बात पर नरम
दूसरी पर गरम
तीसरी पर प्रशंसा और
चौथी पर लाठी उठाने वालों से
सम्बन्ध रखना  और सभी
शेष सम्बन्धों की
श्रद्धांजलि करने जैसा है

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक - poetpawan50@gmail.com



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