गुरुवार, 29 नवंबर 2018

देने को उपदेश बहुत हैं


देने  को  उपदेश बहुत हैं

देश में भी परदेस बहुत हैं

संकट में कोई काम ना आए

वैसे मित्र  विशेष बहुत हैं



जग  में  रिश्तेदार बहुत हैं

मौके  पर  बेकार  बहुत हैं

बनते काम बिगड़ जाने पर

खेद  जताते  यार बहुत हैं



जीवन  में जंजाल  बहुत हैं

अंजाने  से कमाल  बहुत हैं

एक क्षण रोना एक क्षण गाना

तिकड़म के भी जाल बहुत हैं



एक ही जीवन लक्ष्य  बहुत हैं

ध्यान से देखो तथ्य  बहुत हैं

है अद्भुत  अमूल्य  ये जीवन

खोजोगे  तो  सत्य  बहुत हैं



अपने भी तो ख्वाब बहुत हैं

अपनों  के भी दाब बहुत हैं

हमी  नहीं  सपनों के राजा

एक  से एक नवाब बहुत हैं



पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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