शनिवार, 6 अक्टूबर 2018

अर्थ ने सम्बन्ध तोड़े







अर्थ  ने  सम्बन्ध  तोड़े
बहुत  ने  अनुबंध  तोड़े
मैं  सनातक का उपासक
धैर्य  ने  अवलम्ब  जोड़े

अर्थ  ने  गृहस्ती  फूँकी
अपनों की हर नज़र चूकी
वक्त ने नयी दृष्टि दे दी
पैबन्दों  पर  तब रफू की

इक  सलीका नया आया
जीने का नया ढंग आया
दुःख में भी हँसते हैं कैसे
इक  नया ये हुनर आया

ख़ास  थे  अपरिचित हो गये
व  अंजाने  परिचित हो गये
नयों में नई दुनिया बस गयी
वक्त बदला सब चित हो गये


वक्त  अर्थ को खींच के लाया
इसी  ने था कभी उसे भगाया
प्रकृति का खेल प्रकृति ही जाने
पर  उसने   जीवन   समझाया


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.

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