नेह  की  बाती
जलायें
द्वेष का दीपक
बुझायें
जिंदगी कब धोखा दे
दे 
आओ अपनापन जतायें
लोक  हैं  हम
लोक गायें
ना  बुराई ,  राग   गायें
अपनों  की  पहचान
है ये 
विपदा में  सब साथ आयें
हर   तरफ   आलोचनाएँ
कुछ प्रशंसा हम  ले आयें
नीले - नीले  बादलों  में
काले – काले  मेघ  लायें
वीरता   के   गीत  गायें 
क्यों  डरे  बाहर
को आयें 
बढ़   गयी  दुर्गन्ध  गर्मी 
आओ हम  चन्दन लगायें
दुःख   के
बोझे  फेंक आयें 
सुख के  तृण को पास लायें
रोना कब तक भाये
किसको 
धीमे  ही  पर  गीत  गायें
सब भुलाकर  साथ आयें 
सबका ही सब भला
चाहें
तब बनेगी मनुष्यता
जब 
एक स्वर  कल्याण गायें  
पवन तिवारी 
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
 

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