सोमवार, 2 जुलाई 2018

जाने किस मोड़ तक


जाने किस मोड़ तक ले जाये ये किस्मत हमको
भागे हैं और बहुत और सताए हमको
ढेर से लोग ठिकानें हैं वादियाँ छूटी
सूखे आँसू भी ये पिघला के पिलाए हमको

सारी खुशियों से ही है रार करायी इसने
सारे रिश्तों में ही है आग लगायी इसने
दोस्तों को भी अजनबी इसने कर डाला
करके बर्बाद मुझे प्यास बुझायी इसने

ये जो किस्मत है आवारा है,बड़ी फक्कड है
दुनिया भर की इसमें भरी हुई अक्कड़ है
जाने कब क्या कर दे,इसका भरोसा है नहीं
कौन क्या बन के मिले इसका ही सब चक्कर है

पवन तिवारी
सम्पर्क – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com

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