सोमवार, 27 नवंबर 2017

और कमाल कि हँसते भी हो

घूमता हूँ खूब
लिखता हूँ खूब
बहस करता हूँ खूब
हंसता हूँ खूब
उत्साह है खूब
जीने की चाह है खूब
जीवन भी है खूब
जीता भी हूँ खूब
अभाव भी है खूब
फिर भी
मस्त हूँ खूब
इस भयावह अभाव में
कैसे जीते हो, जिन्दादिली से
देखकर,सोंचकर
मित्र हैं दंग,कैसे टिके हो
शहर में बिंदास , इस तरह
और कमाल कि हँसते भी हो


पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com


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