शनिवार, 12 अगस्त 2017

कठिन और सरल

कठिन शब्दों में कहना सरल है बहुत
सरल शब्दों में कहना कठिन है बहुत
धीर - गंभीर होना सरल है बहुत
व्यक्ति का सरल होना कठिन है बहुत

जो बहुत क्लिष्ट वो बहुत ही दूर है
पास में तो वही ठहरे जो है सरल
जो सरल है वही पी सकेगा गरल
क्लिष्टता तो अहंकार का घूर है

उतना ऊँचा है साहित्य जितना सरल
तुलसी और प्रेमचन्द का है उद्धरण
और कुछ कहने की है जरूरत नहीं
समझ जाएगा वो जो सरल है सहज

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978 / 9029296907
poetpawan50@gmail.com



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